ट्रांजिस्टर Transistor
Transistor ट्रांजिस्टर का नाम आपने बहुत सुना होगा ट्रांजिस्टर के आने से इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रांति ला दी।
ट्रांजिस्टर एक बहुत ही साधारण सा दिखाई देने वाला कॉम्पोनेन्ट होता है लेकिन इसके काम बहुत बड़े है। अगर ट्रांजिस्टर नहीं होते तो शायद आज कंप्यूटर की स्पीड इतनी नहीं होती जितनी अब है।
ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल सर्किट में बहुत से कार्यो को करने के लिए किया जाता लेकिन इसका सबसे ज्यादा उपयोग एम्प्लीफिकेशन के लिए होता है। कहने का मतलब किसी भी सिग्नल की शक्ति को बढ़ाने के लिए होता है।
ट्रांजिस्टर के तीन सिरे होते है। जिनको बेस, कलेक्टर और एमीटर कहते है। ट्रांजिस्टर के कई प्रकार होते है और सबका काम अलग अलग होता है। Transistor
दोनों जंक्शन में P कॉमन हो जाता है इसलिए इसको NPN ट्रांजिस्टर कहते है
इसमें P बेस होता है छोटा N एमीटर और दूसरा बड़ा N कलेक्टर होता है इसमें करंट कलटर से एमीटर की और बहता है
इसमें बेस एक कंट्रोलर की तरह काम करता है बेस पर जितना सिग्नल दिए जाते उसके अनुसार करंट कलेक्टर से अमीटर की तरफ बहने लगता है। अच्छी तरह समझने के लिए एक उदाहरण लेते है▼
आपने घर या स्कूल ऑफिस हर जगह पानी नल देखा होगा है। जिसके लिए ऊपर छत पर टंकी रखी होती है और पाईप के द्वारा पानी को नीचे लाया जाता है। जिसमे से पानी बहता है और बहता ही रहेगा यदि उसको रोकने के लिए वाल्व यानी टोटी न लगी हो। जिसको बंद कर देने पर पानी नहीं बहता जब आपको जरुरत होती है तब आप टोटी को खोल कर पानी ले लेते है फिर जरुरत नहीं होने पर बंद कर देते है साथ ही आपको कम पानी चाहिए कम खोलते है और ज्यादा तेज़ी से पानी बहने के लिए ज्यादा या पूरा खोल देते है कहने का मतलब यह है जितनी हमें जरुरत होती है और जिस गति से चाहते है टोटी को उसी के अनुसार घुमाकर पानी ले लेते है। Transistor
ठीक इसी प्रकार ट्रांजिस्टर भी काम करता है और बेस उसको नियंत्रित करता है। मुझे लगता है आपको अच्छे से समझ आ गया होगा।
ट्रांजिस्टर एक बहुत ही साधारण सा दिखाई देने वाला कॉम्पोनेन्ट होता है लेकिन इसके काम बहुत बड़े है। अगर ट्रांजिस्टर नहीं होते तो शायद आज कंप्यूटर की स्पीड इतनी नहीं होती जितनी अब है।
ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल सर्किट में बहुत से कार्यो को करने के लिए किया जाता लेकिन इसका सबसे ज्यादा उपयोग एम्प्लीफिकेशन के लिए होता है। कहने का मतलब किसी भी सिग्नल की शक्ति को बढ़ाने के लिए होता है।
Transistor ट्रांजिस्टर सेमीकंडक्टर पदार्थो से बनाया जाता है। सिलिकॉन और जेर्मेनियम।
ट्रांजिस्टर के तीन सिरे होते है। जिनको बेस, कलेक्टर और एमीटर कहते है। ट्रांजिस्टर के कई प्रकार होते है और सबका काम अलग अलग होता है। Transistor
संरचना के अनुसार ट्रांजिस्टर दो टाइप के होते है Transistor
npn टाइप ट्रांजिस्टर → इस प्रकार के ट्रांजिस्टर में P टाइप क्रिस्टल के दोनों तरफ N टाइप क्रिस्टल जोड़ा जाता है। देखे चित्र ▼इस तरह दो जोड़ बनते है जिनको जंक्शन कहते है
- पहला NPN
- दूसरा PNP
दोनों जंक्शन में P कॉमन हो जाता है इसलिए इसको NPN ट्रांजिस्टर कहते है
इसमें P बेस होता है छोटा N एमीटर और दूसरा बड़ा N कलेक्टर होता है इसमें करंट कलटर से एमीटर की और बहता है
इसमें बेस एक कंट्रोलर की तरह काम करता है बेस पर जितना सिग्नल दिए जाते उसके अनुसार करंट कलेक्टर से अमीटर की तरफ बहने लगता है। अच्छी तरह समझने के लिए एक उदाहरण लेते है▼
आपने घर या स्कूल ऑफिस हर जगह पानी नल देखा होगा है। जिसके लिए ऊपर छत पर टंकी रखी होती है और पाईप के द्वारा पानी को नीचे लाया जाता है। जिसमे से पानी बहता है और बहता ही रहेगा यदि उसको रोकने के लिए वाल्व यानी टोटी न लगी हो। जिसको बंद कर देने पर पानी नहीं बहता जब आपको जरुरत होती है तब आप टोटी को खोल कर पानी ले लेते है फिर जरुरत नहीं होने पर बंद कर देते है साथ ही आपको कम पानी चाहिए कम खोलते है और ज्यादा तेज़ी से पानी बहने के लिए ज्यादा या पूरा खोल देते है कहने का मतलब यह है जितनी हमें जरुरत होती है और जिस गति से चाहते है टोटी को उसी के अनुसार घुमाकर पानी ले लेते है। Transistor
ठीक इसी प्रकार ट्रांजिस्टर भी काम करता है और बेस उसको नियंत्रित करता है। मुझे लगता है आपको अच्छे से समझ आ गया होगा।
PNP टाइप ट्रांजिस्टर →
NPN टाइप ट्रांजिस्टर | PNP टाइप ट्रांजिस्टर |
PNP टाइप ट्रांजिस्टर दो पि टाइप और एक येन टाइप सेमीकंडक्टर से बना होता है। इसमें दोनों सिरों पर पि टाइप और सेण्टर में येन टाइप सिमीकण्डक्टर जुड़ा होता है। इस प्रकार एक PNP ट्रांजिस्टर में एक P-N और दूसरा NP जंक्शन होता है एक पी एन पी ट्रांजिस्टर की तुलना दो DIODE से की जा सकती है इनके N-N टाइप सेमीकंडक्टर आपस में जुड़े होते हैं
ट्रांजिस्टर कैसे काम करता है |
इनमें से एक डायोड को EMITER BASE DIODE या EMITER DIODE कहा जा सकता है और दूसरे DIODE को कलेक्टर-बेस डायोड या कलेक्टर डायोड कहा जा सकता है...
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