क्वाइल क्या है ? (what is Coil OR Inductor?)
हकीकत में क्वाइल एक तार होता है। जो किसी भी सुचालक पदार्थ का हो सकता है जैसे : ताम्बा, एल्युमीनियम, लोहा इत्यादि। जब इस तार के चारो तरफ कुचालक पदार्थ लगा दिया जाता है। (जिसे इंसुलेशन कहते है।) और इसको किसी आधार या बिना आधार के गोल - गोल लपेट दिया जाता है तो इस प्रकार के बने पुर्जे को क्वाइल कहा जाता है। इसुलेशन इसलिए लगाया जाता है ताकि तार को लपेटने पर शार्ट न हो। करंट तार के सिरे से होकर दूसरे सिरे से ही प्राप्त हो बीच में नहीं।
जब क्वाइल को बनाया जाता है तब उसको किसी सुचालक धातु पर लपेटा जाता है तो वह उसका कोर
कहलाता है। आयरन या फेराइट के आधार पर लपेटी जाती है तो वह फैराइट कोर या आयरन कोर कहलाती है
यदि तार को बिना किसी कोर या कुचालक पदार्थ पर लपेटते है तो उसको एयर कोर कहा जाता है
आसान भाषा में कहे तो : इंसुलेटेड तार में AC volts देने पर तार के चारो तरफ मैगनेटिक क्षेत्र बन जाता है जिसमे मैगनेट के दो पोल North pole और South pole बन जाते है। जब तार को लपेटते है तो यह पोलस आपस में एक दूसरे का विरोध करते है। यही क्वाइल का गुण होता है जिसके कारण विरोधी वोल्ट उत्पन्न होते है। इसको इंडक्टेन्स कहते है। इसको Henry के द्वारा नापा जाता है।
1 H → 1000 mH
1mH → 1000 micro Henry (mH)
क्वाइल का इंडक्टेन्स ज्यादा होगा यदि क्वाइल की लपेटे ज्यादा है इसी प्रकार यदि लपेटे कम है तो इंडक्टैंस भी कम होगा।
कहने का मतलब है → जैसे जैसे इंडक्टैंस बढ़ता जायेगा वैसे वैसे क्वाइल कम फ्रीक्वेंसी को पास करेगी। यदि इंडक्टैंस कम होगा तो हाई फ्रीक्वेंसी को पास करेगी।
तार की मोटाई लम्बाई और क्षेत्रफल के अनुसार क्वाइल का इंडक्टैंस प्रभावित होता है। ज्यादा लपेटे, मोटाई और क्षेत्रफल, नजदीकी क्वाइल के इंडक्टैंस को बढ़ाते है।
यदि क्वाइल ओपन है तो मल्टीमीटर पर कोई भी कॉन्टीन्यूटी नहीं दिखाता है। यानी सुई बिलकुल भी नहीं हिलती है।
मोबाइल टावर , रेडियो टावर इसके उदाहरण है।
बिजली को बनाने के लिए क्वाइल का ही इस्तेमॉल होता है। या यूँ कहे की बिना क्वाइल के इलेक्ट्रिसिटी नहीं बन सकती तो गलत नहीं होगा। क्यूंकि डायनमो जिनसे बिजली बनाई जाती है उनमे क्वाइल का ही उपयोग है।
आधार या कोर क्या होता है। what is Core
जब क्वाइल को बनाया जाता है तब उसको किसी सुचालक धातु पर लपेटा जाता है तो वह उसका कोर
कहलाता है। आयरन या फेराइट के आधार पर लपेटी जाती है तो वह फैराइट कोर या आयरन कोर कहलाती है
यदि तार को बिना किसी कोर या कुचालक पदार्थ पर लपेटते है तो उसको एयर कोर कहा जाता है
क्वाइल कैसे काम करता है। Working concept of Coil
जब किसी क्वाइल को AC (परिवर्तनशील विधुत धारा) दी जाती है तो क्वाइल में दी गई सप्लाई के विपरीत पोलरिटी के वोल्टेज उत्पन्न होते है। ये वोल्टेज क्वाइल में दी गई सप्लाई का विरोध करते है।आसान भाषा में कहे तो : इंसुलेटेड तार में AC volts देने पर तार के चारो तरफ मैगनेटिक क्षेत्र बन जाता है जिसमे मैगनेट के दो पोल North pole और South pole बन जाते है। जब तार को लपेटते है तो यह पोलस आपस में एक दूसरे का विरोध करते है। यही क्वाइल का गुण होता है जिसके कारण विरोधी वोल्ट उत्पन्न होते है। इसको इंडक्टेन्स कहते है। इसको Henry के द्वारा नापा जाता है।
1 H → 1000 mH
1mH → 1000 micro Henry (mH)
क्वाइल का इंडक्टेन्स ज्यादा होगा यदि क्वाइल की लपेटे ज्यादा है इसी प्रकार यदि लपेटे कम है तो इंडक्टैंस भी कम होगा।
कहने का मतलब है → जैसे जैसे इंडक्टैंस बढ़ता जायेगा वैसे वैसे क्वाइल कम फ्रीक्वेंसी को पास करेगी। यदि इंडक्टैंस कम होगा तो हाई फ्रीक्वेंसी को पास करेगी।
तार की मोटाई लम्बाई और क्षेत्रफल के अनुसार क्वाइल का इंडक्टैंस प्रभावित होता है। ज्यादा लपेटे, मोटाई और क्षेत्रफल, नजदीकी क्वाइल के इंडक्टैंस को बढ़ाते है।
क्वाइल की जाँच Testing of coil
क्वाइल एक तार का बना पुर्जा होता है। वैसे तो यह बहुत कम ख़राब होता है। यह तभी खराब होते है जब इनके ऊपर चढ़ा इंसुलेशन की परत ख़राब हो जाती है। ज्यादा गर्म होने के कारण। तो क्वाइल शार्ट हो जाते है।यदि क्वाइल ओपन है तो मल्टीमीटर पर कोई भी कॉन्टीन्यूटी नहीं दिखाता है। यानी सुई बिलकुल भी नहीं हिलती है।
क्वाइल का उपयोग Use of Coil
क्वाइल का इस्तेमाल फ्रीक्वेंसी को छांटने के लिए किया जाता है। इसके द्वारा रेडिओ वेव या सिग्नल को पड़ने और छोड़ने के लिए बहुत ज्यादा होता है।मोबाइल टावर , रेडियो टावर इसके उदाहरण है।
बिजली को बनाने के लिए क्वाइल का ही इस्तेमॉल होता है। या यूँ कहे की बिना क्वाइल के इलेक्ट्रिसिटी नहीं बन सकती तो गलत नहीं होगा। क्यूंकि डायनमो जिनसे बिजली बनाई जाती है उनमे क्वाइल का ही उपयोग है।
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