रजिस्टेंस का संयोजन – series-parallel combination circuit
रजिस्टेंस का संयोजन (series-parallel combination circuit): इलेक्ट्रॉनिक सर्किट के अंदर रेजिस्टेंस का इस्तेमाल बहुतायात रूप से होता है। resistance का इस्तेमाल करंट को कम करने के लिए किया जाता है। सर्किट के अंदर रेजिस्टेंस की वैल्यू को इच्छा अनुसार प्राप्त करने के लिए रजिस्टेंस को तीन प्रकार से जोड़ा जाता है। resistance की इस क्रिया को रेजिस्टेंस का संयोजन कहते हैं यानी रजिस्टेंस को जोड़ना कहते हैं।
यह तीन प्रकार से किया जाता है।
series and parallel combination of resistors
- पहला सीरीज संयोजन (Series Combination)
- दूसरा पेरेलल संयोजन (Parallel Combination)
- तीसरा सीरीज पेरेलल संयोजन (Series Parallel Combination)
रजिस्टेंस को जोड़ने की जरूरत क्यों पड़ती है।
रजिस्टेंस को जोड़ने से मनमुताबिक वैल्यू प्राप्त किया जा सकता है या फिर जब हमारे पास एक निश्चित वैल्यू की resistance नहीं होती है तो हम रजिस्टेंस को जोड़कर वांछित वैल्यू पा सकते हैं। सर्किट के अंदर आपको हर वैल्यू के रजिस्टेंस तरह-तरह से लगे हुए मिलते हैं। यह सर्किट के अंदर कुछ सीरीज रूप में तो कुछ पेरेलल रूप में लगे हुए होते हैं। आज इस पोस्ट में जानेंगे कि रजिस्टेंस को जोड़कर किस प्रकार से इच्छा अनुसार वैल्यू प्राप्त की जा सकती है।
सीरीज संयोजन
सीरीज संयोजन
Series Combination सीरीज संयोजन
सीरीज संयोजन के अंदर जब एक resistance के एक सिरे पर दूसरे रजिस्टेंस का एक सिरा जोड़ा जाता है और दूसरे रजिस्टेंस के सिरे (टर्मिनल पर एक और रजिस्टेंस जोड़ा जाता है तो यह सीरीज संयोजन कहलाता है। इसमें रजिस्टेंस की वैल्यू कुछ भी हो सकती है लेकिन वाट एक समान होनी चाहिए इस तरीके से सीरीज में लगी तीनों रजिस्टेंस की वैल्यू को जोड़ दिया जाता है ,तो हमें एक नई वैल्यू प्राप्त होती है।
उसको समझने के लिए नीचे दिए हुए चित्र को देखें :
![सीरीज संयोजन.series combination of resistors](https://inhindi.b-cdn.net/wp-content/uploads/2017/11/series_combination.gif)
उदाहरण के लिए : हमारे पास तीन वैल्यू की रजिस्टेंस है। पहले रजिस्टेंस की वैल्यू 5 ohm है दूसरे resistance की वैल्यू 10 ओह्म है, और तीसरे रजिस्टेंस की वैल्यू 20 ओह्म है। अब अगर इन तीनो रजिस्टेंस को सीरीज में जोड़ा जाए तो इनकी नई वैल्यू क्या होगी। जैसा कि हमें पता है कि सीरीज में जुड़े सभी रेजिस्टेंस की वैल्यू को जोड़ दिया जाता है तो नहीं वैल्यू प्राप्त हो जाती है। इसके लिए इस सूत्र का इस्तेमाल किया जाता है।
उसको समझने के लिए नीचे दिए हुए चित्र को देखें :
![सीरीज संयोजन.series combination of resistors](https://inhindi.b-cdn.net/wp-content/uploads/2017/11/series_combination.gif)
उदाहरण के लिए : हमारे पास तीन वैल्यू की रजिस्टेंस है। पहले रजिस्टेंस की वैल्यू 5 ohm है दूसरे resistance की वैल्यू 10 ओह्म है, और तीसरे रजिस्टेंस की वैल्यू 20 ओह्म है। अब अगर इन तीनो रजिस्टेंस को सीरीज में जोड़ा जाए तो इनकी नई वैल्यू क्या होगी। जैसा कि हमें पता है कि सीरीज में जुड़े सभी रेजिस्टेंस की वैल्यू को जोड़ दिया जाता है तो नहीं वैल्यू प्राप्त हो जाती है। इसके लिए इस सूत्र का इस्तेमाल किया जाता है।
रेजिस्टेंस सूत्र : RT = R1 +R2+R3+R4……….
इसमें RT टोटल वैल्यू को बताती है।
इस तरह से कैलकुलेट करने पर नई वैल्यू
5+10+20=35 ohm
इस तरह से कैलकुलेट करने पर नई वैल्यू
5+10+20=35 ohm
Series सर्किट में बहने वाले करंट की वैल्यू कैसे निकाले।
टोटल वैल्यू का इस्तेमाल सर्किट की करंट जानने के लिए किया जाता है। इसके लिए ओम का नियम इस्तेमाल होता है जो नीचे दिया जा रहा है
ओम का नियम (Ohm’s Law)- I=VT/RT
यहां
- VT – कुल रजिस्टेंस के बीच की दी गई वोल्टेज है।
- RT – कुल रजिस्टेंस की वैल्यू है।
- I – सीरीज सर्किट में बहने वाली धारा की वैल्यू है।
सीरीज सर्किट में बहने वाले करंट को जानने के लिए टोटल रेजिडेंस की वैल्यू को रेजिस्टेंस को दी जाने वाली वोल्टेज से विभाजित करते हैं तो हमें सर्किट में बहने वाले करंट का पता चल जाता है।
उदाहरण के लिए दो रजिस्टेंस R1 और R2 है। जिसमें एक की वैल्यू 5 Ohmहै और दूसरे की वैल्यू 15 Ohm है और इनको सीरीज में जोड़ा गया है। अब इसमें जोड़ी गई रजिस्टेंस की कुल वैल्यू क्या होगी ?
जैसा की ऊपर आपको बताया गया है की सीरीज में जोड़ी गई रेजिस्टेंस का मान जोड़ने पर उस सीरीज का कुल मान प्राप्त होता है। इसलिए इस सीरीज में टोटल वैल्यू होगी –
R1+R2=RT
5+15=20 Ohm
अगर इस सर्किट में 80 वोल्ट की सप्लाई दी जाती है तो इस सीरीज सर्किट में बहने वाले करंट की वैल्यू को इस फार्मूले से निकालेंगे . ओम के नियम के अनुसार
I =V/R
यहाँ
I = बहने वाली करंट (एम्पेयर )
V= रजिस्टेंस के बीच की दी गई वोल्टेज
R= रजिस्टेंस की वैल्यू
ओम का नियम (Ohm’s Law)- I=VT/RT
80/20=4 Ampere
तो इस प्रकार इस सीरीज में 4 एम्पेयर का करंट बाह रहा है। (जानिये एम्पेयर क्या होता है। What is Ampere in hindi )
इस सीरीज में करंट को अपने इच्छानुसार घटाने या बढ़ाने के लिए आपको रजिस्टेंस के मान को कम या ज्यादा करना होगा। यदि आप कम एंपियर चाहते हैं। तो आपको रजिस्टेंस की वैल्यू को बढ़ाना होगा इसी प्रकार यदि आप ज्यादा एंपियर चाहते हैं तो आपको रजिस्टेंस का मान कम करना होगा। इस प्रकार से आप रेजिस्टेंस का इस्तेमाल सर्किट में आसानी से कर सकते हैं।
किसी सीरीज में करंट का मान हर पॉइंट पर एक जैसा ही रहता है। क्योंकि बैटरी के टर्मिनल से और दूसरे टर्मिनल तक इलेक्ट्रॉन की गति करने का जो रास्ता होता है, वह एक जैसा ही होता है। इसलिए रजिस्टेंस के हर सिरे पर करंट की स्थिति एक समान होती है। इसके लिए नीचे दिए गए चित्र को आप ध्यान से देखिए।
इसके अनुसार बैटरी के नेगेटिव टर्मिनल से जितने इलेक्ट्रॉन रिपल होते हैं। उतने ही फ्री इलेक्ट्रॉन बैटरी का पॉजिटिव टर्मिनल अपनी और आकर्षित करते हैं। इसके कारण सर्किट में मुक्त इलेक्ट्रॉन की गति हर भाग में एक जैसी रहती है।
ओम के नियम अनुसार किन्ही दो बिंदुओं के बीच करंट की वैल्यू को सर्किट के विद्युत विभव को रजिस्टेंस से भाग देकर जाना जा सकता है। यदि किसी सीरीज सर्किट को विद्युत स्रोत के साथ जोड़ दिया जाए तो सर्किट में बहने वाली धारा की वैल्यू, विद्युत स्रोत के विद्युत विभव को सर्किट में लगी कुल रजिस्टेंस के भाग देकर ज्ञात किया जा सकता है।यदि कु
ल रजिस्टेंस की वैल्यू ज्यादा होगी तो सर्किट में बहने वाली धारा की वैल्यू कम होगी और यदि कुल रजिस्टेंस की वैल्यू कम होगी तो सर्किट में बहने वाली धारा के वैल्यू अधिक होगी।
सीरीज सर्किट में वोल्टेज की स्थिति क्या होगी ?
120 VOLT BULB SERIES
ओम के नियम के अनुसार यदि किसी रजिस्टेंस में बहने वाली धारा(I) है तो उस RESISTANCE के टर्मिनल के बीच लगने वाले विद्युत दबाव की गणना आई IxR के द्वारा की जा सकती है। यदि किसी सीरीज में अलग-अलग वैल्यू के रेजिस्टेंस लगी हो तो टर्मिनल के बीच वोल्टेज भी अलग-अलग मिलेंगे। हर रजिस्टेंस के टर्मिनल के बीच मिलने वाले वोल्टेज का जोड़, दी गई वोल्टेज के बराबर होता है। इसको आप नीचे दिए गए चित्र के अनुसार समझ सकते हैं।
हर एक रजिस्टेंस के सिरों पर मिलने वाली वोल्टेज को वोल्टेज ड्रॉप कहते हैं। क्योंकि यह सीरीज सर्किट में लगी इस रेजिस्टेंस को मिलने वाली वोल्टेज को कम करता है। उदाहरण के लिए इस सर्किट में 60 वोल्ट के दो बल्ब को सीरीज में लगाकर 120 वोल्ट की सप्लाई दी गई है। यदि उनमें से केवल एक ही बल्ब को 120 वोल्ट सप्लाई दे दी जाती तो यह फ्यूज होकर उड़ जाता। लेकिन जब दोनों बल्ब सीरीज में जुड़े होते हैं। तो दोनों बल्बों को दी गई बोल्टेज ,दी गई वोल्टेज के बराबर हो जाती है और दोनों बल्ब सही तरीके से काम करते हैं।
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